एक बहुत पुरानी कहावत है, की भगवान उन्ही की सहायता, करता है जो अपनी सहायता, स्वयं करते हैं।
मानव स्वभाव ही ऐसा है, कि हम बिना उत्सवों, के नहीं रह सकते, उत्सव प्रिय होना, मानव स्वभाव है, हमारे त्यौहार होने, ही चाहियें। Bal Gangadhar Tilak
अगर आप रुके और हर भौंकने, वाले कुत्ते पर पत्थर फेंकेंगे, तो आप कभी अपने गंतव्य, तक नहीं पहुंचेंगे बेहतर होगा, कि हाथ में बिस्कुट रखें, और आगे बढ़ते जायें।
जीवन एक ताश के खेल की तरह है, सही पत्तों का चयन, हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन हमारी सफलता निर्धारित, करने वाले पत्ते खेलना हाथ में है। Bal Gangadhar Tilak
ईश्वर की यही इच्छा हो सकती है, कि मैं जिस उद्देश्य का, प्रतिनिधित्व करता हूँ, वो मेरे आजादी में रहने से ज्यादा, मेरी पीड़ा में अधिक समृद्धि हो। Bal Gangadhar Tilak
भारत की गरीबी पूरी, तरह से वर्तमान, शासन की वजह, से है।
ये सच है, कि बारिश की कमी के, कारण अकाल पड़ता है, लेकिन ये भी सच है, कि भारत के लोगों में, इस बुराई से लड़ने की, शक्ति नहीं है। Bal Gangadhar Tilak
महान उपलब्धियाँ कभी भी, आसानी से नहीं मिलतीं, और आसानी से मिली, उपलब्धियाँ महान नहीं होतीं। Bal Gangadhar Tilak
एक अच्छे अखबार, के शब्द अपने आप, बोल देते हैं। Bal Gangadhar Tilak
स्वराज मेरा जन्मसिद्ध, अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूँगा । Bal Gangadhar Tilak